समान नागरिक संहिता
 
  • Mobile Menu
HOME
LOG IN SIGN UP

Sign-Up IcanDon't Have an Account?


SIGN UP

 

Login Icon

Have an Account?


LOG IN
 

or
By clicking on Register, you are agreeing to our Terms & Conditions.
 
 
 

or
 
 




समान नागरिक संहिता

Sat 03 Feb, 2024

सन्दर्भ

  • उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जस्टिस रंजन देसाई  समिति का गठन किया था। 
  • हाल ही में इस समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदा रिपोर्ट सौंप दिया है ।

प्रमुख बिंदु

  • यह रिपोर्ट चार खंडों में दी गई है एवं इसका शीर्षक 'समानता द्वारा समरसता' है।
  • इस रिपोर्ट के कवर पेज पर 'न्याय की देवी' की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है। इसका तात्पर्य है कि कानून अब सबको समान नजरों से देखेगा। 
  • समान नागरिक संहिता की मसौदा रिपोर्ट हिन्दी और अंग्रेजी में है।
  • इसके पहले खंड में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट है वहीं दूसरे खंड में ड्राफ्ट कोड है।
  • रिपोर्ट के तीसरे खंड में हितधारकों से विचार-विमर्श का ब्यौरा है एवं चौथे खंड में प्रारूप संहिता को रखा गया है।
  • समान नागरिक संहिता राज्य में सभी नागरिकों को उनके धर्म से परे एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा। 
  • इसके लागू होने के पश्चात उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता को अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।
  • गौरतलब है कि गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही समान नागरिक संहिता लागू है।
  • वर्ष 1961 में पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता के बाद गोवा ने अपने सामान्य पारिवारिक कानून को बनाये रखा, जिसे गोवा नागरिक संहिता के रूप में जाना जाता है।

समान नागरिक संहिता क्या है ?

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया गया है।
  • यह राज्य के नीति के निदेशक तत्व (DPSP) का अंग है।
  • अनुच्छेद 44 के अनुसार ‘‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिये एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।’’
  • गौरतलब है कि निदेशक तत्व कानूनी रूप से प्रवर्तनीय नहीं होते हैं, लेकिन नीति निर्माण में राज्य का मार्गदर्शन करते हैं।

समान नागरिक संहिता के लाभ 

  • धर्मनिरपेक्षता को मजबूती एवं राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा ।
  • प्राचीन प्रथाओं का आधुनिकीकरण किया जा सकेगा । 
  • कानून व्यवस्था का सरलीकरण सम्भव हो सकेगा । 

चुनौतियाँ

  • व्यक्तिगत कानूनों की विविधता का अस्तित्व में होना ।
  • धार्मिक एवं अल्पसंख्यक समूहों का विरोधी रवैया।
  • सर्वसम्मति का न होना । 

क्या कदम उठाए जाने चाहिए ?

  • संवैधानिक परिप्रेक्ष्य में इस मुद्दे का समाधान किया जाना चाहिए ।
  • हितधारकों के साथ विचार विमर्श 
  • सन्तुलित रवैया अपनाने की आवश्यकता
  • सांस्कृतिक मतभेदों को सम्बोधित करने हेतु एकता एवं एकरूपता पर बल दिया जाना चाहिए । 

परीक्षापयोगी तथ्य 

समान नागरिक संहिता से सम्बंधित महत्वपूर्ण वाद 

  • 1985 - शाह बानो बनाम मोहम्मद अहमद खान वाद
  • 1995 - सरला मुद्गल बनाम भारत संघ वाद
  • 2017 - शायरा बानो बनाम भारत संघ वाद

Latest Courses